कैसे समझाऊँ उसे
कि वो जो नूर है
मेरी-तेरी आँखों में नहीं
वो तो बस है
मेरे-तेरे बीच
हम लोगों को छोड़कर
हम ज़रूरी नहीं उसके होने के लिए
वो है
वो था
वो रहेगा
उसका होना
खुद का नूर है
मेरे-तेरे बीच उसे मत बांधो
रहने दो उसे
रंग चढ़ने दो उसपे
फिर फूल खिलेंगे
और कांटे भी
और अपनी एक दुनिया होगी
चाँद सितारों वाली
फिर हम हीं खुदा होंगे
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