वो जो ख्वाब है ख़ुशी का
मुझ में हीं छुपा मिलता है
जैसे कोई परत चढ़ी हो
और आहिस्ता-आहिस्ता
उनके पीछे जाकर
मैं खुद को पा लेता हूँ
उन पर्दों के पीछे जाकर
जब मैं तुम्हे सोचता हूँ
तुम्हे महसूस करने लगता हूँ
वो जो आइना है मेरी खिड़की के पास
उसमें साफ़-साफ़ तुम्हे देख पता हूँ
चलना कभी :
हम उस खिड़की से दुनिया कि सैर करेंगे
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