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Sunday 6 April 2014

वो जो ख्वाब है ख़ुशी का

वो जो ख्वाब है ख़ुशी का
मुझ में हीं छुपा मिलता है

जैसे कोई परत चढ़ी हो
और आहिस्ता-आहिस्ता
उनके पीछे जाकर 
मैं खुद को पा लेता हूँ

उन पर्दों के पीछे जाकर
जब मैं तुम्हे सोचता हूँ
तुम्हे महसूस करने लगता हूँ

वो जो आइना है मेरी खिड़की के पास
उसमें साफ़-साफ़ तुम्हे देख पता हूँ

चलना कभी :
हम उस खिड़की से दुनिया कि सैर करेंगे


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