खत्म सब
शराब की बोतलें और
कभी ना खत्म होने वाले रास्ते
खत्म
नशे में तुम क्या
और नहीं चल सकते थे
गोल गोल
माना की
वो चाँद
जो सितारों से अभी भी बात कर रहा है
कभी भी छुप जाएगा
लेकिन क्या तुम्हे भी छुपना जरूरी था
क्या तुम और नहीं चल सकते थे
और वो स्वालीन की पुडिया
जो तुम चाव से खा रहे थे
ना जाने क्यूँ
मुझे तुम्हारे चेहरे की याद दिला रहा है
छुप गया तुम्हारा चेहरा
सड़कों पे लगी बत्तियों के बीच के अंधेरों में
और उन अंधेरों के बीच में जो चाय हमने ली थी
क्या तुम्हारा भी स्वाद ऐसा हीं है ?
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