वो जो नूर देखा है
तेरी छवि में मैंने
गिरता हूँ रोज़ दिन
तेरे क़दमों पे
सरकता सरकता
पहुँचता हूँ जब तेरे क़दमों पे
तेरे उन पिछले आहटों की खनक
मेरे सीने में गूँज उठती है
तुम ही थी, मेरे साथ
सदियों से
हाथ पकड़, मैं तुम्हारे सहारे ही खड़ा रहा
आज तुम्हे छोड़ रहा हूँ
तेरी आहट को बनाने वाले
उस पायल ने
मुझे बुलाया है
फिर बांध लेना मुझे पैरों मे
और तुम्हारे संगीत से
शयद कोइ और भी गिरे तेरे पैरों में
सरकता सरकता
पहुंचे तेरे क़दमों तक
और फिर वही पिछले
आहटों की खनक ...
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