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Sunday, 24 April 2011

किस ओर बढ़ रही हैं, आपनी यादें !

न कोई ख़त
न खबर
न बातें |

किस ओर  बढ़ रही  हैं ?                                           
आपनी यादें |

मालूम है मुझे :
तुम्हें मेरी समझ है,

मगर क्यूँ, 

बातें बंद 
खुशिआं गुम
सरगर्मी कम है |


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