आज
नींद नहीं आई
नींद नहीं आई
नींद नहीं आई
तीन बज गए
आज नींद नींद नहीं आई |
सपने देखे थे मैंने
नौ बजे
नींद के;
वो प्यारी सी ,
नींद नहीं आई |
शायद जागते हुए सापने देखने की आदत हो गयी है ;
सपने कभी सच नहीं होते ,
सच हीं कहा है |
आँखें बंद कर
पूरी कहानी याद आ जाती है
बहुत रुलाती है
बहुत रुलाती है|
बहुत रुलाती है|
वो झूले , वो डिब्बे, वो रेलगाड़ी
वो तितलियाँ , वो झरने , वो आटे की कटोरी
रोज़ शाम घूमना , मिठाई खाना
सब कहते थे , है बहुत नत्ख्ती |
स्कूल से आते वक्त
सड़क के गड्ढों में,
जमे बारिश के पानी से,
दोस्तों को छेड़ना,
स्कूल में सबों से बहुत बात करना :
एक पंडित जी थे , बहुत याद आते हैं ,
जो पूछा करते थे ' फ़िलोसोफिकल ' सवाल ,
और कोई न दे पता था उनका जवाब;
चार पाच मिनट बाद उठता था मेरा हाथ
और जवाब के साथ हमेशा की तरह हाज़िर रहता था
उनका बेटा , लाडला,
जिसको श्रृष्टि का हिज्जय तो नहीं आता था
मगर श्रृष्टि , विज्ञानं, और भगवन के बीच
कुछ रिश्ता बता पता था |
बात फैली
चारो उर
प्रिंसिपल और शिक्षक हैरान,
तारीफ्फें भी होती थी |
पंडित जी !
आज कुछ आजीब हो गया है
तीन बाजे रात तक नींद नहीं
और
तीन बाजे रात तक नींद नहीं
और
अपने ही सावल का जवाब नहीं मिल रहा है |
आज न आप हैं
न हाथ उठाने वाला
न हाथ पकड़ने वाला |
बस
लोगों से सुना है
" ये सब की जिंदगी में आता है " |
बस
लोगों से सुना है
" ये सब की जिंदगी में आता है " |
पता नहीं
मगर आपका बेटा
भीड़ में खोता जा रहा है |
मगर आपका बेटा
भीड़ में खोता जा रहा है |
आजकल किसी से नहीं मिलता
आकेले रहता है, अपने में,
और उजाला देख के आखें
चौंध जाती हैं |
और सुबह कहें या दिन
बारह बजे उठता है
और आज
रात के तीन बज गए |
रात के तीन बज गए |
पंडित जी !
कल एक जगह जाना है
किसी मददगार से मिलना है
पता नहीं छह बजे मैं कैसे उठूँगा
इस सावल का तो मेरे
' अलार्म क्लोक्क ' के पास भी जवाब नहीं है !
आज मैं हार गया !
लगता है जैसे सब छूट गया :
किताबों से लेकर आपना खून भी
पराया लगता है |
रोटी सब्जी बनता हूँ
बहुत अच्छे से घर सजाता हूँ,
और रोटी तोड़ ,
सब्जी मिला के ,
मेरा हाथ ;
वहीँ रह जाता है
वहीँ रह जाता है |
आधी दूर
आधी दूर
आधी दूर
आज मैं खा नहीं रहा ,
और लाखों के सामने कुछ भी नहीं है |
आपको आदर्श मानता हूँ ,
कम से कम इसलिए तो ज़रूर,
की आपकी जिन्दगी निभ गयी |
मैं तो,
आधी दूर
आधी दूर
आधी दूर |
की आपकी जिन्दगी निभ गयी |
मैं तो,
आधी दूर
आधी दूर
आधी दूर |

No comments:
Post a Comment